लेखनी कहानी -19-Feb-2024
वैवाहिक वर्षगांँठ
जीवन में पतझड़ को आने न देना, मधुमास को कभी जाने न देना। रुपए व पैसे भले थोड़े कम हों, खुशियों को दामन छुड़ाने न देना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
सुख हो या दुख हो सदा संग रहना, अपने विचारों से ना तंग रहना। पैसे व रूपयों से ये है न आती, बस इसकी खा़तिर न तुम खंग गहना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
दिल को जो भाए बस वो बात करना, जीवन में ना तू कभी घात करना। यदि हो गया तो दुहराना फिर ना, रिश्तो मैं उलझन समाने न देना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
तेरे भरोसे जहांँ छोड़ आई, माता-पिता बहन और भाई। बड़े प्यार से सबका किरदार निभाना, अंतस को मेरे कभी ना जलाना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
जब तक हैं साँसें तुझे ही बस चाहूँ, मोहब्बत की गठरी ले मैं शर्मा जाऊंँ। दिखाए जो सपने उन्हें ना भुलाना, पलकों की छांँवों में मुझको बिठाना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
चौबीसवीं वर्षगांँठ तुम्हें हो मुबारक, जीवन का हर पल बन जाए शुभ कारक, निश्चलता जीवन में हो सदा शामिल, अमंगल कभी भी फिर चाहे न आना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
लमहे तेरे संग जितने बीताए, गिनना जो चाहूंँ तो गिना भी न पाए। दिल की बातें सच- सच मैं तुझको बताऊंँ, तू ही पिया मेरे जीवन का गहना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
आंँखों में तेरे मैं खुद को पाऊंँ, तेरे प्यार पर मैं बलिहारी जाऊँ। तेरे दरश को मैं आंँखें बिछाऊँ, जीवन में मुझको कभी तू मनाना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
मैं हूंँ पतंग और तू मेरी डोरी, तू बावला छोरा मैं सीधी सी छोरी। कभी भी करें ना हम तोरी- मोरी है हमको एक दूजे का जीवन सजाना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
गुड्डे व गुड़ियों के जैसे न हम हैं, कर दे अलग यह किसी में ना दम है। प्रेम और विश्वास कभी खोने न पाए, मुसीबत जो आए तो भी मुस्कुराना। जीवन में पतझड़ को आने न देना।
साधना शाही, वाराणसी
Shnaya
21-Feb-2024 01:15 PM
Nice one
Reply
Mohammed urooj khan
20-Feb-2024 11:47 AM
👌🏾👌🏾👌🏾
Reply
Gunjan Kamal
20-Feb-2024 07:40 AM
वाह बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति
Reply